भारत की अर्थव्यवस्था में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हाल के वर्षों में सरकार ने इस क्षेत्र में पूंजी प्रवाह को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इन्हीं पहलों में से एक है REITs And InvITs (Infrastructure Investment Trusts) को प्रोत्साहित करना। और अब, सरकार ने Institutional Investors की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए इन दोनों माध्यमों को और अधिक पारदर्शी और निवेश-अनुकूल बना दिया है।
REITs And InvITs क्या हैं?
REITs(Real Estate Investment Trusts) And InvITs(Infrastructure Investment Trusts) ऐसे निवेश प्लेटफॉर्म हैं जो छोटे और बड़े निवेशकों को रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में भागीदारी का अवसर देते हैं, बिना सीधे संपत्ति को खरीदने की आवश्यकता के।
- REITs मुख्य रूप से व्यावसायिक रियल एस्टेट जैसे ऑफिस स्पेस, मॉल और होटल में निवेश करते हैं।
- InvITs हाइवे, पावर ट्रांसमिशन लाइन, पाइपलाइन आदि जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश के लिए बनाए गए हैं।
ये ट्रस्ट्स निवेशकों से पूंजी जुटाकर परियोजनाओं में निवेश करते हैं और उससे उत्पन्न होने वाली आय को निवेशकों के बीच वितरित करते हैं।
Institutional Investment का बढ़ता दायरा
अब तक REITs And InvITs में निवेशक वर्ग सीमित था – जैसे म्यूचुअल फंड्स, बैंक्स, और कुछ घरेलू वित्तीय संस्थान। लेकिन भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हाल ही में कुछ नीतिगत बदलाव किए हैं जिनका उद्देश्य है Institutional Investors जैसे पेंशन फंड्स, बीमा कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय फंड्स की भागीदारी को बढ़ाना।
इन प्रमुख बदलावों में शामिल हैं:
- न्यूनतम निवेश सीमा में छूट
- सेकंडरी मार्केट में ट्रेडिंग को सरल बनाना
- ट्रस्ट्स के संचालन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना
- टैक्स में राहत और स्पष्टता
इन सुधारों के चलते अब बड़ी वित्तीय संस्थाएं इन माध्यमों को स्थायी और लाभकारी निवेश के रूप में देखने लगी हैं।
नए भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को मिलेगा बल
Institutional Investment का सीधा लाभ यह होगा कि भारत की इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को दीर्घकालिक और स्थिर पूंजी प्राप्त होगी। सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सरकार को भारी पूंजी की आवश्यकता होती है, जिसे पारंपरिक कराधान या कर्ज के माध्यम से पूरा करना कठिन है।
REITs और InvITs जैसे माध्यमों के माध्यम से न केवल पूंजी जुटाई जा सकती है, बल्कि निवेशक वर्ग को भी एक सुरक्षित और नियमित आय का विकल्प मिलता है। इससे Public-Private Partnership मॉडल को भी प्रोत्साहन मिलता है।
निवेशकों के लिए अवसर और सुरक्षा
Institutional Investors को अक्सर दीर्घकालिक निवेश की तलाश होती है, जहां रिटर्न स्थिर हो और जोखिम नियंत्रित। REITs And InvITs इन दोनों ही आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
- इनमें किराया या टोल से होने वाली आय नियमित रूप से निवेशकों को मिलती है।
- संपत्ति आधारित संरचना होने के कारण सुरक्षा भी सुनिश्चित रहती है।
- स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होने से पारदर्शिता बनी रहती है।
SEBI के दिशा-निर्देशों के तहत इन ट्रस्ट्स को अपनी वार्षिक रिपोर्ट, संपत्ति का मूल्यांकन और किराये की जानकारी नियमित रूप से प्रकाशित करनी होती है।
सरकार की रणनीति और भविष्य की दिशा
वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को मजबूत करना अनिवार्य है। इसके लिए सरकार निजी पूंजी को आकर्षित करने के हर संभावित माध्यम को खोल रही है।
Bharat InvIT Framework, National Monetization Pipeline (NMP), और Gati Shakti Master Plan जैसे कार्यक्रमों से यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में REITs और InvITs के माध्यम से बड़े पैमाने पर निवेश की संभावना है।
निष्कर्ष: एक टिकाऊ आर्थिक भविष्य की ओर
REITs और InvITs में Institutional Investment भारत के लिए सिर्फ एक आर्थिक नीति नहीं, बल्कि यह नए युग की पूंजी व्यवस्था का प्रतीक है। इससे न केवल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती मिलेगी, बल्कि निवेशकों को भी एक नया और स्थिर प्लेटफॉर्म मिलेगा।
सरकार और नियामक निकायों के सहयोग से यह उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले वर्षों में भारत में REITs और InvITs का बाजार और अधिक विस्तारित होगा, जिससे आर्थिक समावेश, सतत विकास, और रोजगार सृजन को बल मिलेगा।